पंगवाड़ी भाषा वर्गी करण त पंगवाड़ी भाषा बारे कुछ
जि.ए.ग्रिएरसन (दोका संपुटि, 1967:373) लिखोसु कि पंगवाड़ी भाषा, भारतीय-यूरोपियन, भारतीय-आर्य भाषा, पहाड़ी, पश्चिमी पहाड़ि, वर्ग अन्तर एन्ति। पंगेई अन्तर एंण घेण ओखु भुन्तुथ, इस जे पंगवाड़ी बोली हर दस मील अन्तर बदली घेन्ति। पंगवाड़ी अन्तर, पंगवाड़ी-किलाड़े बोली, पंगवाड़ी-पुर्थी बोली, पंगवाड़ी-साच बोली त पंगवाड़ी-धरवासे चेउर खास बोली असि। जादा पंगेई मेहणु बोते कि, साच बोली संस्कृत (sanskrit) भाषा जुओइ सुआ मिति पर, किलाड़ पंगि घाटि के खास जगा भो, तस बाजाई जोओइ सोब पंगेई मेहणु, किलाड़े बोली समज एई घेन्ती।
एतनोलाग किताब अन्तर लिखोसु कि पंगवाड़ी भारतीय-यूरोपियन, भारतीय-इरानियन, भारतीय-आर्य भाषा, उत्तरी जगा, पश्चिमी पहाड़ि, वर्ग अन्तर एन्ति।
Indo-European, Indo-Iranian, Indo-Aryan, Northern zone, Western Pahari. www.ethnologue.com
पंगवाड़ी भाषा इस्तमाल:-पंगेई मेहणु पंगवाड़ी भाषा अन्तर बोक करण अब्बल लगति। सोब उमरे पंगेई मेहणु, होरे पंगेई मेहणु, पंगवाड़ी अन्तर बोक कते। पंगेई मेहणु ब्याह् त तिहायार ओर सोब धाम-धुम अन्तर पंगवाड़ी भाषाई इस्तमाल कते, सकूल अन्तर बी गबुर पंगवाड़ी अन्तर बोक कते, पर पढाई हिन्दी अन्तर भुन्ति। पंगेई मत्ते मेहणु जे पंगवाड़ी, पहाड़ी हिन्दी भाषा एन्ती, पर किलाड़ केंआ दुरे-दुरे ग्रां अन्तर जिलाह्णु पंगवाड़ी एन्ति त पहाड़ी-हिन्दी घट समज एन्ती। कुछ मेहणु चंबियालि, पाड़री बोक बी एन्ति। मते पढ़ो-लिखो मेहणु, इन्टरनेट त फेसबुक पुठ पंगवाड़ी भाषा रोमन सिक्रिपट अन्तर लिखते।
भाषाविद्द बोते पंगवाड़ि शुणुन जे हिन्दी केंआ अबुल भुन्ति, किस कि पंगवाड़ी बोलि अन्तर इउफोनि ईं असा। (euphony character- Any agreeable pleasing and harmonious sounds of a language)