पंगवाड़ी साहित्य त कितेबी

केन्हि यक महापुरुषे बोलो असु कि “भाषा यक समाजे देण असी पर लिखित भाषा सिर्फ शिक्षित समाज दी सकता।” कोई बि भाषा अगर लिखो असी त से तस बोलुणे बाड़ी के बुद्धि त समजे बारे बतान्ति। मनख इतिहास अन्तर इ: सुआ समाज असे जे खरी तरक्की किओ असे से तेन्हि भी अपु अपु भाषा लुखो असी। हर यक भाषा बदलती रेहन्ती। यक पिढ़ी केआं होरे पीढ़ी तकर भाषा सुआ बदलती। त भाषा हें पेहचाण असी अगर भाषा बदलती त पेहछाण बि बदलती। जपल अस भाषा लिखते त से हमेशा के लिए सुसुर बिश्ति त सालो साल यके ईं रेहन्ती। जपल हें पतुं होरा पीढ़ी एन्ति त तेन्हि जे भाषा शिचालण जे हें लेख, कथा त कविता सुआ काम एन्ती। अस इस धरती पुठ रेहे  या ना रहे, पर गर भाषा लुखो असी त से कदी मुकती नाऊं।

पांगी घाटी अन्तर जे अनोखी संस्कृति सुआ साल केआं चलो असी तस बुछ पंगवाड़ी भाषाई यक खास जगह असी। एस भाषा अन्तर घाटी सम्हाई मेह्णु बोक कते। एसे चोउर प्रकारे बोली असी जे की अपु अपुं इलाके हिसाब जुए अलग असी। टेमे बुरी नजर केआं ऐस बचाण जे इ: जरुरी असा कि ऐस लिख-लुख कइ एसे रक्षा करुंण। ना त जी टेम घेन्ता रेहन्ता तीं ए बोली बी मुक घेन्ती।

खुश खबर इ: असु कि एस बोकी अन्तर लिखुण जे कोशिश भुण लगो असी। त एस बोली अन्तर अभेईं कुछ किताब त पत्रिका बणो असी त बणा बि लगोसि।

पंगवाड़ी किताब

बोउए प्यार : ए: पंगवाड़ी भाषा अन्तर पेहली कथा किताब असी। एस किताबे कथा होरे होरे जगह केआं निओ असी त कुछ कथा नयी असी। पंगवाड़ी अन्तर कथा पढ़ कइ तेस मज्जा नेण जे इठि चिकीण दिए

प्रांरभिक पंगवाली व्याकरण : ए: पंगवाड़ी भाषाए पेहली व्याकरण किताब भो। एथ अन्तर पंगवाड़ी भाषा ए 1. वर्ण (Phonology), 2.पद (Morphology) त 3.वाक्य (Syntax) वारे विचार किओ असे। एस पढ़ुं जे त पंगवाड़ी भाषा बारे और पता लाण जे इठि चिकीण दिए

माणिहेलु: पंगवाड़ी उजवाण त मुहावरि के ए: यक किताब असी। जीं माणिहेलु कीमती त अब्बुल भुन्तु तीं ए: उजवाण बि पंगवाड़ी भाषा जे कीमती त अब्बल लगती। एस खास उजवाण त मुहावरे पढ़ुंण जे इठि चिकीण दिए

तुबारि: पंगवाड़ी भाषा अन्तर पेहली मासिक पत्रिका 2011 केआं छपुण लगो असी। पंगवाड़ी अन्तर लेख, अब्बल अब्बल कथा, मजाक त घाटी तेस मेहने खास खबर पढ़ुंण जे इठि चिकीण दिए