पांगी की संस्कृति
पांगी की संस्कृति का आधार ‘सरलता’ है, जो उनके हर एक काम में नजर आता है। जैसे घाटी ने हर प्रदुषण से खुद को दूर रखा है, वैसे ही लोगो का दिल बी कपटता से परे है। चाहे बो जुकारू का त्योहार हो या फुल्लयात्रा का मेला, लोग एक दुसरे के साथ प्यार से बैठने के लिए और एक दुसरे का साथ देने के लिए तैयार रहते हैं। वह बोलते हैं ना, “दुई बुटे बणेयेल त धारे जोत बि जी सकते” (दो जन हो तो कोई बी मुशकिल का सामना कर सकते हैं।)। घाटी के लोग इस लोकोक्ति को ठीक तरह से समझ पाए हैं।
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