मणिहेलु - पंगवाड़ी लोकोक्तियों की किताब

माणिहेलु – अनमोल रत्न- पंगवाड़ी मुहांवरे और लोकोक्तियों

अनमोल रत्न की तरह लोकोक्तियाँ और मुहावरे किसी भी भाषा के लिए अनमोल है। वे भाषा को सौदर्य प्रदान करती है। ऐसे ही कुछ खास पंगवाड़ी मुहावरे और लोकोक्तियों का संग्रह इस किताब में किया गया है। ‘टन बइ लेउड, खा कुतरे जंघ’, ‘चोरे मन खदेड़ा’, चुरी चिरेह्उ भुण’, ‘भोटे मखीर करुं’, ‘गुले फिउड़ फोटाण’, ‘सीते बुढ़ी टांक’, ‘साचे बुढ़ी जीआण’ आदि लोकोक्तियों के मतलब को चित्रों के साथ पेश किया गया है। इस किताब को पढ़ने के लिए नीचे दिए गये लिंक पर दबाएं।